Thursday 13 September 2018

अनूक्तम्-१६ कुत्रास्ति श्रीरामः


कुत्रास्ति श्रीरामः
    कदाचित् कश्चन महम्मदीयशासकः कञ्चन रामभक्तम् आहूय, अपृच्छत्-- “क्वास्ति तव रामः? दर्शये”ति। रामभक्तः हनूमन्तं प्रार्थयत्। अकस्मात् तत्र अनेके वानराः आगत्य कोलाहलमकुर्वन्। शासकेन “कोऽयमुत्पातः?” इति पृष्टे रामभक्तः अशंसत्-- “प्रभोः आगमनात् पूर्वं परिवारः आगत्य सन्नाहान् करोति किल” इति अवदत्। शासकः ज्ञातापराधः रामभक्तं सत्कृत्य प्रेषयत्।

శ్రీరాముడెక్కడ
    ఒకప్పుడు ఒక మహమ్మదీయ పరిపాలకుడు ఒక రామభక్తుడిని పిలిపించి "నీ రాముడెక్కడ? చూపించు" అని అడిగాడట. దానితో ఆ రామభక్తుడు హనుమను వేడుకున్నాడు. అంతే! అనేక కోతులు తరలి వచ్చి అల్లకల్లోలం చేయసాగాయి. ఆ రాజు "ఇదేం గోల?" అని అడిగితే "ప్రభువు రావాలంటే పరివారం ముందు వచ్చి ఏర్పాట్లు చెయ్యాలిగా" అన్నాడు రామభక్తుడు. ఆ రాజు తన తప్పు తెలుసుకొని ఆ రామభక్తుని సకల మర్యాదలు చేసి పంపాడు.

कहाँ है श्रीराम?
    एकबार कोई मुसलमान परिपालक ने किसी राम भक्त को बुलाकर पूछा- “तुम्हारा राम कहां है? दिखाओ।” रामभक्त ने हनुमान जी की प्रार्थना की। अचानक से वहां बहुत सारे वानर आ कर कोलाहल करने लगे। उस शासक ने जब पूछा कि- “यह कैसा उत्पात है?” तो रामभक्त ने कहा- “महाराज के आने से पूर्व परिवार आकर तैयारियां करता है ना।” उस राजा ने अपना अपराध जान लिया और रामभक्त को सत्कार करके भेजा।

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