Thursday 6 June 2019

अनूक्तम्-२२ - तृषातप्तः प्रथमं जलं पिबेत्

🙏 तृषातप्तः प्रथमं जलं पिबेत् 😊
[अनुवादलेखः]
🌺

कश्चित् रेलस्थानके पेयजलं विक्रीणीते स्म।
कश्चन प्रौढः- रे, एहि अत्रइति तमाह्वयत्, “एकपोटल्याः मूल्यं किम्?” इति च पृष्टवान्।
एकं रूप्यकम्इति बालस्य उत्तरम्।
किम् अर्धरूप्यकेण दास्यति?” इति पृष्टवान् प्रौढः।
बालः किमपि नावदत्। हसित्वा अग्रे अगच्छत्। कश्चित् साधुरिदं संवृत्तं सर्वं दृष्टवान्। बालस्य समीपं गत्वा पृष्टवान्- कुतः अहसः त्वम्?” इति।
बालः प्रत्युत्तरं दत्तवान्- सः पिपासितो न। कालक्षेपाय मामाहूतवान्। क्रेतुं नेच्छति जलम्। अतः अहसम्।इति।
साधुरपृच्छत्- जलाय आर्तो नेति कथमिदं त्वया ज्ञातम्?” इति।
बालोऽगदत्- यदि तृषार्तः अभविष्यत्, सः प्रथमं पोटलीं स्वीकृत्य जलं पीत्वा, धनं च दत्त्वा अगमिष्यत्। इत्थं मूल्यस्य न्यूनीकरणाय नाप्रक्ष्यत्।इति।
साधुः अचिन्तयत्- सत्यमेव। यः भगवन्तमिच्छति, सः तर्कं, कुतर्कं च न करोति। महत्या व्यग्रतया साधनां करोति। यत्र आवश्यकता अस्ति, तत्र मूल्यचर्चा न क्रियते। यदि आवश्यकता न, तदा केवलं चर्चैव भवेत्।इति।

--उषाराणी सङ्का
-----------------------
🙏 प्यासा होता तो पहले पानी पीता! 😊
रेलवे स्टेशन में एक लड़का पीने का पानी बेच रहा था। एक आदमी ने उसे बुलाया। पूछा- एक पेकेट कैसे दिये?”
एक रूपयालड़के ने बताया।
आदमी ने पूछा- पचास पैसे में देगा?”
लड़का कुछ नहीं बोला, हँसा और आगे निकल गया।
यह सब एक साधु ने देखा। वह लड़के के पास गया और पूछा- हँसे क्यों?”
लड़के ने बताया- महाराज, वह पानी नहीं चाहता, बस, वक्त काटना चाहता है..
साधु ने पूछा- यह तुम्हे कैसे पता कि नहीं चाहता?”
प्यासा पहले पेकेट लेकर पानी गटगट पी जाता है, फिर दाम पूछता है। कभी मोल तोल नहीं करता।लड़के ने बताया।
साधु ने सोचा- सच तो है। जिसे भगवान की पाना है, वह तर्क कुतर्क नहीं करता। बहुत उतावला होकर साधना करता है। जहाँ आवश्यकता है, वहाँ मोल तोल नहीं होता। और आवश्यकता न हो तो केवल मोल तोल ही होता है।
-----------------------
🙏 దాహమేస్తే మొదలు నీరు తాగుతాడు 😊
రైల్వే స్టేషనులో ఓ పిల్లవాడు తాగే నీరు అమ్ముతున్నాడు.
ఒకాయన "అరేయ్ ఇటురా..." అని పిల్లవాడిని పిలిచాడు. "ఒక ప్యాకెట్ ఎంత?" అని అడిగాడు.
"రూపాయి" చెప్పాడు పిల్లవాడు.
"యాభై పైసలకు ఇస్తావా?" అడిగాడు ఆయన.
కుర్రాడు ఏమీ అనలేదు. చిన్నగా నవ్వాడు. ముందుకుసాగిపోయాడు.
జరిగిందంతా చూశాడు ఒక సాధువు. ఆ పిల్లాడి వద్దకు వెళ్లాడు. "నువ్వు ఎందుకు నవ్వావు?" అని అడిగాడు.
"స్వామీ... అతనికి దాహం వేయలేదు. అతనికి కేవలం కాలక్షేపం కావాలి." అన్నాడు బాలుడు.
ఆ సంగతి నీకెట్లా తెలుసు?” అని అడిగాడు సాధువు.
దాహం వేసిన వాడు ముందు ప్యాకెట్టు తీసుకుని నీరు తాగుతాడు. తరువాత ధర ఎంత అని అడుగుతాడు. బేరాలాడడు.అని చెప్పాడు పిల్లవాడు.
"నిజమే... దేవుడిని కోరుకునేవాడు తర్కాలు, కుతర్కాలు చేయడు. ఆత్రంగా సాధన చేస్తాడు. ఆర్తితో పూజిస్తాడు. అవసరం ఉంటే బేరం ఉండదు. అవసరం లేకుంటే బేరం తప్ప మరేమీ ఉండదు." అనుకున్నాడు సాధువు.
[वाट्साप्-तः प्राप्तस्य कस्यचित् तेलुगुलेखस्य संस्कृते हिन्द्यां चानुवादः]
-----------------------

No comments:

Post a Comment